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जय जिनेन्द्र...



आज मैं आपके समक्ष एक ऐसा विषय लाया हु जो आज दिन में हमारे धर्म का सबसे बढ़ी समस्या बन बैठा है

आप  सब जानते है मई पंथवाद के विषय की बात कर रहा हु

इसी बात पे हमारे ही भाई ने एक आँख खोलने वाला और सत्य उजागर  करने के लिए ये पोस्ट लिखी है






जैसे कि मैं घुमा - फिराकर बात नहीं करता। आज हम सब अपने आप से पुछे कि
हम सब जैन है। या फिर पंथवादी जैन है। मैं जितना जानता हुँ, या फिर मुझ
से पुछे तो
आप सब पंथवादी जैन है। मैंने देखा है, समजा है और जाना भी है।

मैं मेरे जैन भाई और बहनों से कुछ सवाल पुछना चाहुँगा कि पंथ क्या है...?
दिगंबर, श्वेतांबर, स्थानकवासी, मुर्तिपुजक, तेरापंथी, बीसापंथी...? मैं पुछना
चाहुँगा कि कहा से आये ये पंथ, क्यु आये और कैसे आये ये पंथ, कभी सोचा आपने हम
सबने सोचा, मेेरे हिसाब से नहीं सोचा। तो सोच कर देखो और आप समझ जायेगे।

मैं पुरे जैन समाज सेे यहाँं तक जैन मुनियों से फिर वो कोनसे भी पंथ के
हो, आप सब 24 तीर्थंकर को मानते है। 24 तीर्थंकरों के दिखाये गये मार्ग
पर चलते है। तो फिर ये पंथवाद क्यु और किस लिए।

आज हम सोशल साइट पर देखते है कि एक फोटो होता है। उस पर सभी पंथो के नाम
आते है और उसमें बडे अक्षरों मैं लिखा होता है कि "हम सब एक है", क्या सच
मैं हम सब एक है। पंथवाद के कारण आज जैन धर्म के सिद्धान्तो पर सवाल
उठायेे जा रहे है। इनी पंथवाद के कारण हमारे कुछ जैन परिवार के लडके -
लडकीयाँ इकोनाँमिकल कंडीशन आच्छी नहीं है। इस वजह से पढ नहीं सकती। किसी
जैन संस्थासे मद्दत मागने गये तो, उनको पुछा जाता है कि, आप कौन से पंथ
हो, अब यहाँ कुछ संस्था सवाल पुुछेगी या बोलेगी कि हम ऐसा सवाल पुछते
नहीं। आज जो कुछ भी हो रहा है। वो सब पंथवाद और हम लोगो पंथवादी
मनोवृत्ती की वजह से हो रहा है और हमारे आने पिढी को यही सिखा रहे है। जब
- जब जैन धर्म पर आच आयी तब मैंने देखा की सब पंथ का नाम आगे करके सब छुप
गये। जब भी जैन धर्म पर आच आयी तो क्यु सब एक होकर आगे आये।

मैं नई पीढी से सवाल पूछना चाहूंगा। जो हमारे पूर्वजों किया, याने पंथवाद
में उल्छे रहे। आज पंथवाद के कारण हमारी जैन धरहोर सोशल साईट पर निलाम हो
रही है, हमारे जैन मुनि, माताजी(वो कोई जैन पंथ के हो) को बडी बेरहमी से
गाडीयाँ फिर ट्रक कुचला जाता है। क्या इसी पंथवाद के कारण हम जैन धर्म को
समाप्त कर डालेगे। बहोत से बाते है, इस पंथवाद के कारण जैन धर्म का
नुकसान हुआ है। कुछ बाते अभी की है, तो कुछ बाते पुराणी है।

मैं आज नई पिढी को जो मैं - आप उन सभी पंथवाद भुलाकर एक होने की गुजारीश
करता हुँ। आज नई पिढी को यह सब करना होगा। जब एक होगे तब कोई जैनधर्म को
नुकसान नहीं पहुचायेगा। नई पिढी सोशल साइट का आच्छे चलाती है। सबको एकता
में बांधो और पंथवाद भुलाकर एक ही छत्रछाया के निचे आवो जिसे सिर्फ और
सिर्फ जैनधर्म नाम से जाना जायेगा।

सम्यक दोभाडा , एक जैन

THIS ARTICLE IS JUST FOR THE CURRENT SITUATION OF THE RELIGION WHICH DOES NOT HURT TO INTEND ANYONE , WE REGRET IF ANY INCONVENIENCE CAUSED

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